Wednesday 27 August 2014


भारत की जन संस्कृति


एक बड़े प्रसिद्ध और नाम धारी होटल में रूसी दूतावास के सांस्कृतिक सचिव को ठहराया गया - 15 रूपये रोज पे। दो दिन ठहरकर जाते वक़्त उन्होने बिल मांगा तो उन्हे 45 रूपये का बिल मिला। उन्होंने पूछा कि 45 किस हिसाब से हुए , तो जवाब मिला कि आपने तीन दिन ठहरने की बात की थी , इसलिए तीन दिन क लगा दिया है। दो दिन ठहरने पर तीन दिन का किराया लगाया जाना जब उन्होने ग़लत बताया , तो झट ३० रूपये का दूसरा बिल बन दिया गया।
पहिलेवाले बिल के दो टुकड़े करके होटल के अधिकारी ने फेंक दिये जिन्हे रुसी भाइ ने उठ लिया।
और उसमे देख कि दो दिन के ही 45 लगाए गए है। तब वह बहुत बिगड़ा और बोला रुपया चाहे जितना ले लो , पर ऎसी बेइमानी मत करो। हम विदेशी लोग आपके चरित्र और आपकी संस्कृति के बारे मे क्या धारणा लेकर जाएंगे ?
खैर, उस भाई को समझाया गया कि यह 'बनिया संस्कृति ' है। भारत की जन संस्कृति नही है। भारत की जन संस्कृति उसनेँ तब देखि जब नौका विहार करने के बाद उसने ५ रूपये मल्लाहों को दिए , तो वे ये कह्ते हुये लौटाने लगे कि आप तो हमारे मेहमान हैं , आप से पैसा नहीँ लेंगे।
हरिशंकर परसाई

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